Holi Par Nibandh: रंगो के त्योहार होली पर सबसे अच्छा निबंध

फागुन मास अपने साथ ठंड की विदाई का संदेश लेकर आता है और इसके साथ ही मौसम खुशनुमा होने लगता है। यह मौसम रंगो के त्योहार होली के कारण अत्यंत प्रसिद्ध हैं। होली त्योहार हमारे देश की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। होली का त्योहार लगभग सभी धर्म सम्परदायों द्वारा हर्ष और प्रेम के साथ मनाया जाता हैं। आज इस लेख में हम होली त्योहार के बारे में विस्तार से जानेंगे।

होली कब मनाई जाती

होली प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं। अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार होली मार्च के महीने में आती हैं। वर्ष 2024 में 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा, जिसके लिये शुभ मुहूर्त रात 11:13 बजे से लेकर 12:7 बजे तक रहेगा। होली मनाने का अपना एक कारण हैं जिसके पीछे एक प्राचीन कहानी हैं। हमारे देश के बड़े त्योहारों में दीपावली के बाद होली का ही नाम आता हैं। ऐसा माना जाता है कि होली से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होता हैं।

होली मनाने का कारण

होली त्योहार मनाने के पीछे एक प्राचीन कहानी हैं। हिंदू धर्म में यह मान्यता हैं कि बहुत समय पहले हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था। राजा बहुत क्रूर तथा शेतान प्रवृति का था। ऐसी मान्यता हैं कि हिरण्यकश्यप राजा को भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद भी प्राप्त था। इस आशीर्वाद के कारण राजा को कोई भी इंसान, जानवर या हथियार नहीं मार सकता था। इस शक्ति के कारण वह बहुत अहंकारी हो गया था।

राजा ने अपने राज्य की प्रजा को यह आदेश दिया कि वे भगवान को छोड़कर उसकी पूजा करना शुरू करें। राजा ने अपने बेटे प्रहलाद को भी भगवान की पूजा छोड़कर उसकी पूजा करने के लिए बाध्य किया। राज्य के सभी नागरिकों ने हिरण्यकश्यप की पूजा करनी शुरू कर दी लेकिन प्रहलाद ने राजा की पूजा करने से इनकार कर दिया। वह भगवान विष्णु का सच्चा और परम भक्त था। इस कारण हिरण्यकश्यप नाराज़ हो गया और उसने अपनी बहिन होलिका के साथ मिलकर प्रहलाद को मारने की योजना बनायी।

राजा ने प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाया तथा दोनों को आग से जलाने की कौशिश की। आग लगने से होलिका तो जल गई लेकिन प्रहलाद सुरक्षित बच गया। इससे संकेत मिलता हैं की सच्ची भक्ति के कारण भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। हिरण्यकश्यप का घमंड टूट गया। इस घटना के बाद से लोग इस दिन को होली के त्योहार के रूप में मनाने लगे।

होली मनाने का तरीक़ा

होली के दिन शाम को होली दहन की तैयारी की जाती हैं। इसके लिए एक मज़बूत लकड़ी के बड़े लट्ठे को नीचे से ज़मीन में गाड़ कर सीधा खड़ा किया जाता हैं। यह प्रहलाद के रूप में माना जाता हैं। इसके चारों तरह सुखी लकड़ियों को त्रिकोण आकार में रखा जाता हैं। यह होलिका का प्रतीक मानी जाती है। इसे दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता हैं मानो होलिका की गोद में प्रहलाद बैठा हो। अब शुभ महूर्त के अनुसार होलीका दहन किया जाता है। होलिका दहन के दौरान ही प्रहलाद को सावधानीपूर्वक जलती आग से बचाकर बाहर निकाला जाता हैं। होलिका दहन बहुत ही हर्ष और उल्लास तथा नाच गानों के साथ किया जाता हैं।

अब इसके अगले दिन धुलंडी होती हैं जो भारत का सबसे रंगीन दिन हैं। यह दिन रंगो से भरा हुआ दिन हैं। धुलंडी राधा कृष्ण के प्रेम का भी प्रतीक माना जाता हैं। लोग सुबह से ही अलग अलग तरह के रंगों के साथ खेलते हैं। इस दिन बच्चे हो या बड़े सभी के अंदर प्रेम भावना भरी रहती हैं और ये सभी एक दूसरे को रंग लगाकर होली के त्योहार का आनंद लेते हैं।

उपसंहार

हमारे देश के सभी त्योहार अपने आप में कुछ महत्वपूर्ण विशेषता लिए हुए हैं। होली लगभग सभी त्योहारों में सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला त्योहार हैं। होली का त्योहार भाईचारा बढ़ता हैं और देश को एकता के सूत्र में बाँधता हैं। होली के कारण मौसम भी खुसनुमा हो जाता हैं और ऐसा लगता हैं मानो नकारात्मकता पूरी तरह से ख़त्म हो गई हैं और हर तरफ़ केवल सकारात्मकता नज़र आती हैं। हमें जितना हो सके उतने प्रेम के साथ होली का त्योहार मानना चाहिए।

होली की सम्पूर्ण जानकारी, मुख्य बिंदु Holi Kyon Manae Jaati Hai

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